डॉ. अभिषेक अग्रवाल सहायक प्राध्यापक (इतिहास) कला एवं मानवीकि विभाग कलिंगा विश्वाविद्यालय, कोटनी, नया रायपुर (छ.ग.)
स्वामी विवेकानन्द (1863-1902) भारत की एक महान आत्मा थे, जिनके प्रति वर्तमान पीढ़ी ऋणी है और भावी पीढ़ी सदैव ऋणी रहेगी। स्वामी विवेकानन्द ने अपने कर्मठ और तेजोमय जीवन तथा गहन आध्यात्मिक, सामाजिक एवम् राजनीतिक विचारों की छाप विदेशों तक छोड़ दी। स्वामी विवेकानन्द भारतीय राष्ट्रवाद के एक धार्मिक सिद्धान्त की नींव का निर्माण करना चाहते थे। स्वामी विवेकानन्द नव हिन्दू धर्म के प्रचारक के रूप में अपने को प्रस्तुत किए।
स्वामी जी ने 1983 में शिकागों में आयोजित प्रथम विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया। उनके भाषण का तत्व यह था कि हमें भौतिकवाद तथा आध्यात्मवाद के बीच एक स्वस्थ संतुलन स्थापित करना है। यह संसार के लिए एक ऐसी संस्कृति की परिकल्पना करने थे जिसमें पश्चिम का भौतिकवाद तथा पूर्व का आध्यत्मवाद का ऐसा सामंजस्यपूर्ण सम्मिश्रण हो जाएगा जो समस्त संसार को प्रसन्नता देगा।
स्वामी जी समाज को एक सावयव मानते थे। उनका विचार था कि “अनेक व्यक्तियों का समूह समष्टि (सम्पूर्ण) कहलाता है और अकेला व्यक्ति उसका एक भाग है। आप और हम अकेले व्यष्टि हैं समाज एक समष्टि है।” स्वामी जी का कर्मानुसार फल में गहन विश्वास था और इसलिए उन्होनें माना कि किसी विशेष समाज के व्यक्ति का जन्म उसके पिछले कर्मों के आधार पर होता है। स्वामी जी सामाजिक संगठन और सामाजिक मामलों में धर्म की उपस्थिति पसन्द नहीं करते थे और इसी कारण वे जात-पाँत, सम्प्रदायवाद और छुआछूत तथा सब तरह की विषमताओं के विरूद्ध थे।
स्वामी जी ने अस्पृश्यता तथा रूढ़िवादिता की भर्त्सना की। स्वामी जी ने बाल-विवाह का विरोध, स्त्री शिक्षा का समर्थन, जाति प्रथा तथा पुराहितों के पुरातन अधिकारवाद का खण्डन कर सामाजिक समरसता में विशेष योगदान दिया। स्वामी विवेकानन्द ने मूर्तिपूजा, बहुदेववाद, आदि का समर्थन किया क्योंकि इनका मानना था कि ईश्वर सकार एवम् निरंकार दोनो है और उसकी अनुभूति विभिन्न प्रतीकों के रूप में की जाती है। इसी कारण इन्हें 19 वीं शताब्दी के ‘नव हिन्दू जागरण” का संस्थापक कहा जाता है।
Kalinga Plus is an initiative by Kalinga University, Raipur. The main objective of this to disseminate knowledge and guide students & working professionals.
This platform will guide pre – post university level students.
Pre University Level – IX –XII grade students when they decide streams and choose their career
Post University level – when A student joins corporate & needs to handle the workplace challenges effectively.
We are hopeful that you will find lot of knowledgeable & interesting information here.
Happy surfing!!