राम जनमानस के एक आसरा है आज व्यक्ति तमाम निराशाओं के बीच कष्ट में राम को ही याद करता है जब राम चित्रकूट नहीं आये थे तब वह एक राज्य के जनप्रिय राजकुमार थे जब वो चित्रकूट से गयें तब वो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम थे, राम यूं ही कोई नहीं बन जाता । किसमें इतना सामर्थ्य है जो मात्र पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए महलों के सुखो का त्याग करके वन को प्रस्थान करें । कौन ऐसा है जो ऋषि मुनियों के दुख को अपना दुख समझकर दुर्दांत राक्षसों से अकेले जूझ जाये । कौन है जो किसी को शापमुक्त कर सके । कौन इतना विनयी हो सकता है जो सर्वशक्तिमान होने के बावजूद अनेकानेक वानरो के पराक्रम की प्रशंसा करे । कौन ऐसा पति है जो अपनी पत्नी के लिए विश्व के अत्याचारी शासक से लङ जाये और उसको पराजित करें और कौन इतना त्यागी और प्रजा वत्सल हो सकता है कि उसी पत्नी का अपनी प्रजा के लिए त्याग कर दें चित्रकूट उसी आदिपूरूष की तपोस्थली है जिसकी करूणा, दया पराक्रम प्रेम सब चित्रकूट ने देखा चित्रकूट की शिलायें उसी के होने का जागृत प्रमाण देती है यह वही धरती है जहां तीनों लोकों के स्वामी स्वच्छंद विचरण कर रहे थे और साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा सीता उन्ही के साथ मौजूद थी । आज के स्त्रीवादी राम को सीता का अपराधी ठहराते हैं उनके समय में जनकपुर के नर नारी उनकी सालियां उन्हें इस बात का उलाहना देती थी। फिर भी राम इस कष्ट को अकेले पी गये अद्भुत धैर्य के प्रतीक हैं राम । तब से लेकर आज तक गंगा जमुना में न जाने कितना पानी बह गया लेकिन राम की छवि जैसा शासक भी इस धरती को नसीब नहीं हुआ।आज के नेता अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम पर स्विस बैंकों में खाता खुलाते है और देश की अकूत संपत्ति को उसमें रखते हैं। मध्यकालीन शासक अपने पिता को जेल में डालकर बादशाह बनते थे। व्यसनों का इतना शौक था कि उनके हरम में १२०० महिलाएं हुआ करती थी फिर भी अकबर महान हो गया ? कालांतर में राम के सम्मुख बड़े से बड़े प्रतापी राजा जुगनू के समान भी नहीं है। देश जब जब किसी नेतृत्व को याद करेगा तब राम का नाम सम्मुख होगा ।प्रजापालक के तौर राम का कोई सानी नहीं। इसलिए रामराज्य की परिकल्पना गांधी जी करते थे। राम राज्य का मतलब सभी को समान अवसर है। राजा का बेटा भी उसी गुरूकुल का हिस्सा है जहां नाई और धोबी का बेटा शिक्षा ग्रहण कर रहा हो । आज की तरह नहीं कि अफसरों और अधिकारियों के बेटे प्राइवेट स्कूलों में और गरीब का बच्चा मिड डे मील के लिए बैठा हो । इसलिए गांधी जी अपने भाषणों में राम राज्य की बात करते थे ताकि इस देश के गरीब और पिछड़े कल के ग्लोबलाइजेशन के दौर में पीछे न छूट जाए। गांधी जी तत्कालीन नीति नियंताओं को देश के सबसे पिछड़े तबके को देखकर नीति बनाने को कहते थे । रामराज्य के बारे में तुलसीदास कहते हैं कि अयोध्या में रहने वाले सभी नागरिक वैभव पूर्ण तरीके से रहते हुए अपना कर्म करते हैं वहां बीमारियों से कोई नहीं मरता किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती सरयू नदी में अंश मात्र भी गंदगी नहीं है पूरा अयोध्या वनों बगीचों बावङियो और तालाबों से सुशोभित हैं। पक्षी चहचहाते है। वन में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु निर्भय होकर वास करते हैं l आज के वर्तमान की तरह नहीं जहां देश की राजधानी रहने लायक न बची हो वन नाम मात्र के रह गये हो । मनुष्य और जंगली जीव संघर्ष हर गांव की कहानी बन गया हो । गंगा भारी प्रदूषण और मानो कचरा ढोने की मशीन बन कर रह गई हो जहां हर बङा शहर अपने सीवेज को हरिद्वार से कलकत्ता तक छोड़ता चला आ रहा हो । इसलिए जरूरी है कि इस देश के नीति निर्धारक फिर से राम राज्य का अनुसरण करते हुए अपनी नीति से न कि विदेशी फंड और अमीरों की आय से तय होने वाली जीडीपी हो देखकर गप्पा फुलकर बैठे रहे ।
By
Abhishek Kumar Pandey
Department of Botany, Kalinga University