राजकुमार दास
सहायक प्राध्यापक, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
Rajkumar.das@kalingauniversity.ac.in
वैसे तो हम सभी शोध नामक विषय से अपने महाविद्यालय या स्नातक की पढाई के समय ही परिचित होते हैं परंतु क्या आपको पता है कि शोध हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है जो बचपन से लेकर हमारे जीवन के अंतिम समय तक हमसे जुड़ा रहता है । कई बार हम शोध जैसे महत्वपूर्ण विषय को केवल अकादमिक अथवा अध्ययन-अध्यापन से संबंधित विषय मानकर शोध के प्रति अरुचि प्रकट कर देते हैं, परंतु वास्तव में देखा जाए तो शोध का महत्व सभी स्थानों पर सर्वोच्च है । वास्तव में शोध का उद्देश्य किसी भी विषय से जुड़ी सूचनाएं अथवा प्रयोगों से जुड़े विश्वसनीय तथ्य एकत्रित करना विभिन्न परिकल्पनाओं के आधार पर बने सिद्धांतों के साक्ष इकट्ठे करना तथा इन सभी जानकारियों के माध्यम से, ज्ञान के क्षेत्र में योगदान देना होता है । यह शोध विभिन्न प्रकार की चरणबद्ध प्रक्रियाओं से होकर पूरा होता है जिसमें किसी भी शोध समस्या के निर्माण से लेकर उसके अंतिम परिणाम तक की यात्रा होती है इस प्रकार के शोध कार्य विभिन्न ज्ञान विज्ञान के क्षेत्रों यथा कला एवं मानविकी, वाणिज्य एवं प्रबंधन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, शिक्षा शास्त्र तथा औषधि विज्ञान आदि में किए जाते रहे हैं परंतु इन सबके अलावा भी शोध की हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है आईए इसी शोध के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं :
शोध की भूमिका हमारे बचपन से ही शुरू हो जाती है जैसे कि विद्यार्थी स्कूल में ज्ञानार्जन के लिए जाता है तो उसे विभिन्न प्रकार की तकनीकों तथा तरीकों से शिक्षा प्रदान की जाती है जो विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों द्वारा किए गए शोध का ही परिणाम होता है जैसे कि व्याख्यान विधि, प्रायोगिक विधि आदि.. साथ ही विद्यार्थियों में किसी भी विषय को लेकर समुचित अधिगम हो सके इस हेतु से भी विभिन्न शोधों से प्राप्त तरीकों के द्वारा विद्यार्थियों को कोई विषय सिखाया जाता है जिसके पीछे शोध की भूमिका होती है ।
शोध के माध्यम से हम लोगों के विचारों को विभिन्न शोध उपकरणों द्वारा यह था प्रश्नावली अनुसूची साक्षात्कार तथा अवलोकन जैसे उपकरणों द्वारा एकत्रित करके हम लोगों को तथा मुद्दों को समझने हेतु विभिन्न प्रयास कर सकते हैं जिसके फलस्वरूप किसी समुदाय विशेष के विचारों तथा उनकी समस्याओं को समझने में आसानी हो सकती है साथ ही शोध लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने का भी एक अच्छा साधन
सिद्ध हो सकता है जिसमें विभिन्न सामाजिक आर्थिक राजनीतिक समस्याओं के विषय में बात कर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई जा सकती है साथ ही इस कार्य में शोध परक ज्ञान होने की वजह से वजह से यह अधिक प्रभावशाली हो सकता है ।
वर्तमान समय में व्यापार तथा व्यवसाय भी शोध से अछूते छूते नहीं है हाल ही में एक इंटरव्यू में लेंसकार्ट प्रमुख पियूष बंसल को यह कहते हुए देखा गया कि वह अपनी कंपनी में ऐसे लोगों को नियुक्त करते हैं, जिन्हें आंकड़ों के विश्लेषण अथवा डाटा एनालिसिस का ज्ञान हो इसे दुसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है की व्यापार में ऐसे लोगों की हमेशा आवश्यकता होती है जो आंकड़ों को संग्रहित कर उनका विश्लेषण कर किसी भी व्यापार विशेष के हित में उन जानकारियों अथवा आंकड़ों का सदुपयोग कर सकें और व्यापार को उन्नति की ओर अग्रसर करने में सहयोग कर सकें इसके लिए शोध की विभिन्न तकनीकों तथा उस से प्राप्त आंकड़ों को विश्लेषण करने का ज्ञान होना चाहिए ।
जैसा कि आप सभी जानते हैं की शोध तथ्यों पर आधारित होता है और कहा जाता है कि शोध की कसौटी पर रखा गया तथ्य ही सत्य होता है आता है हम कह सकते हैं कि शोध के माध्यम से हम विभिन्न प्रकार की गलत अवधारणाओं झूठी खबरों तथा तथ्य हीन आंकड़ों का पर्दाफाश या खंडन कर सच्चाई को सामने लाकर लोगों की मदद कर सकते हैं क्योंकि डिजिटल मीडिया के इस वर्तमान युग में एक छोटे से अफवाह या झूठ का कितना बड़ा दुष्प्रभाव हो सकता है इससे हम सभी अनभिज्ञ नहीं हैं अतः हमें शोध परक दृष्टिकोण रखते हुए वैज्ञानिक मानसिकता के साथ असत्य का खंडन करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए ।
शोध नवीन अवसरों को खोजने तथा उन अवसरों को प्राप्त करने में भी हमारी सहायता करता है वह इस प्रकार की विभिन्न प्रकार के हमारे सामने विभिन्न प्रकार के नवीन रोजगार तथा व्यापार साथ ही अध्ययन एवं अध्यापन के अवसर आए दिन देखने को मिलते हैं फिर चाहे वह प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या फिर डिजिटल मीडिया के माध्यम से, ऐसे में ठगी तथा धोखे की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं क्योंकि आजकल लोगों को रोजगार तथा व्यवसाय के नाम से आसानी से ठगा जा सकता है इसीलिए शोध परक दृष्टि तथा थोड़ी सी सतर्कता हमें इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचा सकती है, साथ ही शोधपरक दृष्टि के माध्यम से हम नवीन अवसरों को प्राप्त करने में भी सफलता पा सकते हैं क्योंकि यह वह तरीका है जो सभी के संज्ञान में नहीं होता साथ ही यह हमें दूसरे प्रतिस्पर्धियों से अलग बनाता है । यहाँ यह बताना भी प्रासंगिक होगा कि वर्तमान में विभिन्न नियोक्ता कंपनियां अपने संस्थानों में शोध परक दृष्टि रखने वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता देती हैं ।
जैसा कि हमने देखा की शोध हमेशा नवीनतम जानकारी एकत्रित करने, असत्य का खंडन करने तथा नवीन अवसरों को ढूंढने में हमारी सहायता करता है । इसी प्रकार शोध हमें मूल्यवान जानकारियों को विभिन्न स्रोतों से पढ़ने, नवीनतम जानकारियां लिखने तथा उनका विश्लेषण कर विभिन्न माध्यमों से लोगों तक पहुंचाने या साझा करने हेतु हमें प्रेरित करता है । मानव मन की जिज्ञासु प्रवृत्ति, स्वयं की क्षमताओं को विकसित करने की आकांक्षा तथा लोगों के साथ जुड़कर समाज की बेहतरी के लिए काम करना शोध के अभिन्न अंगों में से हैं । इस प्रकार सकारात्मक शोध कार्य हमेशा एक अदृश्य सामाजिक शक्ति बनकर हमें बौद्धिक रूप से उन्नत बनाता रहता है साथ ही समाज के विभिन्न समस्याओं का निराकरण करते हुए एक सुरक्षित तथा सुदृढ़ भविष्य की ओर अग्रसर करता है अतः हम सभी को शोध के प्रति सकारात्मक दृष्टि रखते हुए इसके बारे में अधिक से अधिक सीखना, समझना तथा इसका अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करना चाहिए जिससे हम एक स्वर्णिम भविष्य की रचना में अपना सकारात्मक योगदान दे सकें ।