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हिंदी साहित्य और सिनेमा

डॉ श्रद्धा हिरकने

सह प्राध्यापक हिंदी विभाग

कलिंगा विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़

dr.shraddha.hirkane@kalingauniversity.ac.in

 

 

शोध सारांश  — सिनेमा जनसंचार का सशक्त माध्यम है सिनेमा समाज में व्याप्त विभिन्न समस्याओं को प्रभावी ढंग से समाज के सामने दिखाने की बखूबी भूमिका अदा करता है सिनेमा जीवन के यथार्थ के प्रति समझ पैदा करता है किसी के लिए फिल्म मात्र मनोरंजन का साधन है और किसी के लिए मार्गदर्शन नहीं सोच पैदा करने का माध्यम है|

 

 हिंदी साहित्य और सिनेमा के संबंध –

 

 साहित्य और सिनेमा में घनिष्ठ संबंध रहा है मुख फिल्मों से प्रारंभ होकर अब तक संबंध बना हुआ है कई साहित्यिक कृतियों पर फिल्में बनी है जो सफल रही सिनेमा के कलाकार आम जनता के आदर्श होते हैं वह जो कुछ करते हैं इसका प्रभाव जनता पर सीधे पड़ता है इसलिए विज्ञापन के कंपनियां फिल्म कलाकारों से मिलकर अपने उद्योग का प्रचार प्रसार करने उनको ब्रांड एंबेसडर( राजपूत )बनाते हैं सिनेमा और साहित्य अभिव्यक्ति के दो अलग-अलग माध्यम है जिसमें 1 शब्दों के जरिए अपने पात्रों को पाठक के सामने रखता है तो दूसरा चित्रों के द्वारा अपने दर्शक के सामने आता है इसलिए कुछ बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इनके कुछ बिंदुओं इनके संबंधों को समझना होगा जैसे किसी कृति को पढ़ते समय हम ठहर ठहर कर उसके शब्दों के भावों को समझ सकने की प्रक्रिया से गुजरते हैं जबकि फिल्म देखते समय एक साथ इतने चित्र सामने होते हैं जो कुछ चित्र आंखों से ओझल से हो जाते हैं साहित्य कृति को पढ़ते समय कल्पना शक्ति के सहारे अपने पात्र स्थान खुद ही कर लेते हैं किंतु सिनेमा हमारे सामने मूर्त रूप से पात्रों आदि से रूबरू करवा देते हैं इस मॉड्यूल में उन साहित्यिक कृतियों का अध्ययन अपेक्षित है जिन पर फिल्में बनाई गई हैं जैसे

1 वापसी

2 परिणीता

3 चंद्रकांता

4 तीसरी कसम

5 निर्मला

6 यही सच है

7 चरणदास चोर

8 सूरज का सातवा घोडा

9 आक्रोश

10 नौकर की कमीज

11 देवदास

इस प्रकार निर्देशक की संरचनात्मक पुराने विषयों को नए रूपों में दर्शक के सामने लाने का प्रयास करती है इस मॉड्यूल में हम ऐसे सिनेमा को स्थान दे सकते हैं जिसका संबंध साहित्य से है लेकिन हर बार तो नए रूप में सामने आ रहा है जैसे की देवदास फिल्म कई बार बनी लेकिन हर बार कुछ ना कुछ दर्शक ने अपनी सृजनात्मकता को बनाए रखते हुए समय के हिसाब से बदलाव किए }

 

निष्कर्ष

इस प्रकार साहित्य और सिनेमा का घनिष्ठ संबंध है समाज में व्याप्त विसंगतियों को लेखक अपनी रचनाओं के माध्यम से उजागर करता है वैसे ही फिल्मकार साहित्यिक रचना पर फिल्म बनाकर सामाजिक विसंगतियों को जन-जन तक पहुंचाता है जिसके माध्यम से जनता जागरूक होती है इस प्रकार जनता को जागरूक कर देश व समाज की बुराइयों को दूर करने का सिनेमा और साहित्य एक सशक्त माध्यम है |

संदर्भ ग्रंथ सूची –

1.डॉक्टर इस्पात अली हिंदी साहित्य सिनेमा और फिल्मांकन प्रकाशन साहित्य संस्थान 2021

2.डॉ विजय कुमार मिश्र हिंदी साहित्य और सिनेमा रूपांतरण के आयाम शिवालिक प्रकाशन 2020

3. हिमांशु साहित्य समाज और सिनेमा आनंद प्रकाशन 2017

4. रोशनी पवार सिनेमा और साहित्य अथर्व प्रकाशन 2021

 

 

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