“ नारȣ “
प
ू
जा देव
सहायक ĤाÚयापक ( ͧश¢ा ͪवभाग )
कͧलगं ा यǓ
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नवͧसट[ ȣ नया रायप
ुर
Pooja.dev@kalingaunivversity.ac in
“नारȣ कहȣ अबला तो कहȣ सबल है नारȣ पर हर जगह दयनीय दशा हैतुàहारȣ II”
नारȣ एक ऐसा पाğ िजसकȧ हर जगह पर दयनीय दशा है तàुहारȣ èथान बहुत हȣ मह×वपणू है [ i नारȣ
िजसमे सजृ न और नए जीवन को साकार करने कȧ ¢मता है i अथा[त नारȣ शिÈत का èवǽप है िजससे
मनçुय जीवन के Sआधार कȧ नीव है I लेͩकन उसी नारȣ को दǓुनया मे असहाय और अबला समझा जाता
है Iजहा नारȣ कȧ ¢मताओं को अनदेखा ͩकया जाता है I यǑद उस नारȣ को इस दǓुनया से हटा दे तो
शायद यह पØृवी इतनी खुशनमु ा नहȣं होती शायद ये िजतनी हैकई बढ़ कर है , उसी नारȣ के महǂव को
मथै लȣशरण गÜुत जी ने दो पिÈतयɉ मे åयÈत ͩकया है : –
“ अबला जीवन हाय तàुहारȣ यहȣ कहानी I
आंचल मे हैदधू और आँखɉ मे पानी II
नारȣ हर ¢ेğ मे अपने साहस और सझू -बझु का पǐरचय देते आई है I नारȣ ने हमेशा अपने आप को
साǒबत ͩकया है कȧ अब वो Ǔनबल नह [ ȣं है हर पǐरिèतͬथ मे अपने साहस से वह लड़ सकती है I नारȣ
वग अब कमजोर नह [ ȣं रह गई है I वह ͧश¢ा कȧ ओर अĒसर है I èğी अपनी संèकृǓत और सßयता के
साथ आधुǓनकता को साथ लेकर कामयाबी कȧ ओर बढ़ रहȣ है पहले िèğयाँ केवल घर सभं ालती थी पर
अब िèğया देश व समाज के हर ¢ेğ मे बढ़ चढ़ के काय कर रह [ ȣ है I नारȣ ने न के वल अपने आप को
साǒबत ͩकया है बिãक वह Ĥेरणा èğोत भी बनी है I आज के समय मे èğी आ×मǓनभर है और वह [
अपना Ǔनणय [ èवयं लते ी है िèğया पǽुषɉ से कं धे से कÛधा ͧमला कर हर ¢ğे मे काय कर रह [ ȣ है I पहले
नारȣ कȧ िèतͬथ दयनीय थी समाज मे कई Ĥकार कȧ कुरȣǓतयɉ का सामना करना पड़ता था लेͩकन अब
नारȣ अपने ऊपर होने वाले अ×याचारɉ के ͨखलाफ आवाज़ उठाना जानती है एक नारȣ मे अपार
सहनशिÈत होती है समय के अनǾु प वह अपने आप को ढाल लेती है पहले मǑहलाएं अͧशͯ¢त होने के
कारण ͪववश और सहमी हुई रहती थी लेͩकन आज हालातो मे परवतन आ गये है अब म [ Ǒहलाओं को
बोझ नहȣं समझा जाता बिãक अब वह एक Ĥभावशालȣ शिÈत के Ǿप मे उभर रहȣ है I आज कȧ नारȣ
ͧशͯ¢त है कुĤथाओं से बाहर Ǔनकल चकु ȧ है I अब वह हर ¢ेğमे अपने पǐरवार और देश का नाम रोशन
कर रहȣ है और अपने अिèत×व को एक नया पहचान दे रहȣ नारȣ I