ध्यान भारतीय मनीषियों की वह खोज है जिससे न केवल वर्तमान समय में मनुष्य के दैनंदिन उत्पन्न होने वाले तनावों का निराकरण किया जा सकता है बल्कि ध्यान की प्रक्रियायों का नियमित उपयोग व्यक्ति को मानसिक रूप से संतुलित बनाता है। ध्यान की अनेक विधियाॅं भारत वर्ष में प्रचलित है, कुछ सम्प्रदायों में ध्यान की विधियाॅं धार्मिक रीति रिवाजों के रूप में प्रचलित हैं। ध्यान में किसी एक विषय पर मन को केन्द्रित कर उस पर लगातार तैलधारावत् चिंतन किया जाता है। महर्षि पतंजलि जिन्होनें योग सूत्र की रचना की है उन्होंनें ध्यान को इसी प्रकार परिभाषित भी किया है, कि तत्र प्रत्यैकतानता ध्यानम्। अर्थात् जिस विषय को मन को रखा जाता है उसी पर लगातार बिना व्यवधान के चिंतन करना ध्यान है।
ध्यान की इन प्रक्रियायों में से किसी भी एक ध्यान की विधि को लेकर, किसी एक निश्चितस्थान पर बैठकर ध्यान का अभ्यास करने से मन शीघ्र ही एकाग्र होने लगता है। मन की एकाग्रता के उपरांत मन को निर्विचार कर अपने स्वयं के वास्तविक स्वरूप आनंद स्वरूप का बोध होता है, जिससे मानसिक शांति के साथ साथ, मानसिक क्लेशों की समाप्ति होती है।
ध्यान के लिए भगवद् गीता और अन्य योग के ग्रंथों में स्थान, समय, आहार, कुटिया, वस्त्र आदि का उल्लेख किया गया है। ध्यान के लिए स्थान न ही बहुत ऊॅंचा हो न ही बहुत नीचा, तथा ऐसा स्थान भी न हो जहाॅं भयानक जीव जन्तु का निवास होता है या जिस स्थान पर सांप या चूहों आदि के बिल हो। ध्यान के लिए स्वच्छ और साफ स्थान का प्रयोग करना चाहिए, जिससे मन को एकाग्र करने में सुविधा होती है। ध्यान के लिए शुद्ध सात्विक आहार करना चाहिए, शुद्ध सात्विक आहार से मन में विकारी भावों की कमी आती है। अल्पाहार या मिताहार का सेवन भी ध्यान के लिए लाभकारी है। ध्यान के लिए सुबह या शाम का समय या संधीकाल का समय उपयुक्त रहता है। इस समय मन को एकाग्र करना आसान होता है, कई सम्प्रदायों में तो सुबह और शाम अध्यात्मिक साधना का समय ही होता है, अतः ध्यान को ऐसे समय करना चाहिए जब मन शांत हो, किन्तु उच्चतर अवस्था में समय की बाध्यता नहीं होती है।
ध्यान के लिए साफ सुथरे ढीले वस्त्रों का चयन किया जाना चाहिए। जिससे ध्यान की अवस्था में लम्बे समय तक बैठा या रहा जा सके। ध्यान के लिए अत्यंत कड़े वस्त्रों का त्याग करना चाहिए। क्योंकि ऐसे वस्त्रों से रक्त का संचार रूकता है तथा मन को एकाग्र करने में कठिनाई होती है। ध्यान के लिए वस्त्रों के रंगों का चयन भी सोच समझ कर किया जाना चाहिए। चूंकि अत्यंत भड़कीले रंग मन को विचारशील बनाते हैं, उत्तेजित करते हैं, इसलिए श्वेत या हल्के रंग के कपड़ों का उपयोग ध्यान के लिए किया जाना चाहिए। इस प्रकार ध्यान के लिए कुछ बांतों का ध्यान रखकर ध्यान का सम्पूर्ण लाभ लिया जा सकता है।
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