“सरगुजा अंचल में स्थित रामगढ़ पहाडी- छत्तीसगढ़ का प्रमुख पर्यटन स्थल
डॉ. अभिषेक अग्रवाल सहायक प्राध्यापक (इतिहास विभाग) कलिंगा विश्वाविद्यालय, कोटनी, नया रायपुर (छ.ग.)
पर्यटन के विकास में ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक स्थलों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। छत्तीसगढ़ में भी ऐसे स्थलों की प्रचूरता है, जो पर्यटकों को सहसा अपनी ओर आकर्षित करती है।
छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों में सरगुजा क्षेत्र में स्थित रामगढ़ की पहाड़ी का महत्वपूर्ण स्थान है। रामगढ़ से प्राचीन संस्कृति की अनेक कड़ियों प्राप्त हुई है। यहाँ तीसरी शताब्दी ई.पू. से लेकर पूर्व
मध्यकाल तक के अवशेष है।
रामगढ़ जिसे रामगिरी भी कहते हैं, सुंदर और घनघोर जंगलों एवं पहाड़ों से घिरा है। पहाड़ के ऊपर तीसरी तथा दूसरी सदी ईसा पूर्व की मानव निर्मित विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला है। जो सीताबेंगरा के नाम से जानी जाती है। इसके नाट्य मंच में तिरस्करणी अर्थात् पर्दा लगाने का स्थान
विशेष रूप से उल्लेखनीय है। सीताबंगरा गुफा में अशोककालीन ब्राह्मीलिपि में लेख मिलते हैं। सीताबेंगरा के सम्बन्ध में कहा जाता है कि सीता जी के आश्रय लेने के कारण ही इस गुफा का नाम सीताबेंगरा पड़ा। यह गुफा अत्यन्त ही कलात्मक ढंग की है।
सीताबेंगरा के बगल में एक दूसरी गुफा जोगीमारा गुफा है। जोगीमारा गुफा में भारतीय मित्ति चित्र के सबसे प्राचीन नमूने अंकित हैं। यह ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में निर्मित मानी जाती है। जोगीमारा की यह गुफा कालीदास से भी सम्बन्धित मानी जाती है। इसकी भीतरी दीवारें बहुत चिकनी ब्रज लेप से प्लास्टर की हुई हैं। गुफा की छत पर आकर्षक काव्यपाठ नृत्य, अभिनय तथा जीवन-शैली से जुड़े चित्र अंकित हैं।
रामगढ़ की सीताबेंगरा और जोगीमारा गुफाओं से प्राप्त विभिन्न कलाओं को देखकर वहाँ की सांस्कृतिक समृद्धि का अनुमान लगाया जा सकता है। प्राप्त नाट्यशाला के सम्बन्ध में विद्वानों की मान्यता है कि राजपूत राजा यशोधर्मन के राजकवि भवभूति द्वारा रचित उत्तर रामचरित नाटक इत्ती नाट्शाला में खेला गया था।
रामगढ़ पहाड़ी में सीताबेंगरा तथा जोगीमारा गुफायें छत्तीसगढ़ के अतीत के वैभवपूर्ण जीवन को प्रदर्शित करते हैं, जिनका पुरातत्व तथा पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में पर्यटन की अन्य नवीन संभावनायें जीवित हैं।